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देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति सप्तमोऽध्यायः
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा।।
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न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा ॥ १५ ॥
धां धीं धू धूर्जटे: पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति षष्ठोऽध्यायः
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देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति प्रथमोऽध्यायः
श्री सरस्वती अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति द्वितीयोऽध्यायः
देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति दशमोऽध्यायः
न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम् ।
ग्रहों के अशुभ प्रभाव खत्म हो जाते हैं. धन लाभ, विद्या अर्जन, शत्रु पर विजय, नौकरी में पदोन्नति, अच्छी सेहत, कर्ज से मुक्ति, यश-बल में बढ़ोत्तरी की इच्छा पूर्ण होती है.